हैप्पी बर्थडे गुलज़ार साहब!


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हिंदी सिनेमा में हज़ारों गीत और कहानी लिख चुके गुलज़ार को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है. 18 अगस्त 1934 को पाकिस्तान के पंजाब में जन्में गुलज़ार आज अपना 86 वां जन्मदिन मना रहे हैं.

सफ़ेद कुरता-पायजामा, चेहरे पर मुस्कान रखने वाले गीतकार-निर्देशक गुलज़ार, पिछले कई दशक से बॉलीवुड पर राज कर रहे हैं. बतौर गीतकार गुलज़ार ने अपने करियर की शुरुआत साल 1956 से शुरू की थी. जिसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में निर्माता, निर्देशक, लेखक और कहानीकार बन शानदार काम किया.

हिंदुस्तान के विभाजन के बाद गुलज़ार का परिवार अमृतसर में आकर बस गया था. पढ़ने-लिखने के शौकीन गुलज़ार पैसों की किल्लत की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके. पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्हें पेट्रोल पंप पर नौकरी करना पड़ी.

पेट्रोल पंप पर काम करते हुए शायरी के शौकीन गुलज़ार ने अपनी कविताओं को काग़ज पर उतारना शुरु कर दिया. इसके बाद वो मुंबई चले आए. मुंबई के वर्ली में एक गैराज में मैकेनिक का काम करना शुरू किया. 

इसी वक़्त वो 'प्रोग्रेसिव राइटर एसोसिएशन' से भी जुड़े जहां उनकी मुलाक़ात कई शायरों, और साहित्यकारों से हुई. इसी तरह उनकी मुलाकात गीतकार शैलेन्द्र और संगीतकार एसडी बर्मन से हुई.

गुलज़ार निर्माता बिमल राय और ऋषिकेश मुखर्जी के संपर्क में आए. गुलज़ार को बिमल रॉय की ही फिल्म में बतौर गीतकार पहला ब्रेक मिला. लेकिन संघर्ष अभी भी जारी था. वहीं बतौर निर्देशक गुलज़ार ने साल 1971 में फ़िल्म 'मेरे अपने' बनाई जिसे दर्शकों ने खूब सराहा.

जिसके बाद उन्होंने 'कोशिश', 'आंधी', 'मासूम', 'परिचय' जैसी कई शानदार फिल्में बनाई. एक निर्देशक के तौर पर गुलज़ार का सफ़र साल 1999 में खत्म हो गया.

कहते हैं एक पार्टी के दौरान राखी और गुलज़ार की मुलाकात हुई और पहली बार में ही राखी गुलज़ार को अपना दिल दे बैठीं और साल 1973 में दोनों ने शादी कर ली. आज दोनों अलग-अलग रहते हैं. दोनों की एक बेटी मेघना गुलज़ार हैं.

गुलज़ार आज भी 'कजरारे कजरारे' जैसे गाने बनाकर फैंस को झूमने पर मजबूर कर देते हैं तो दूसरी तरफ 'जय हो' जैसे गानों से कई अवॉर्ड अपने नाम कर लेते हैं. गुलज़ार को अब तक दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, ग्रैमी अवॉर्ड और ऑस्कर, पद्मभूषण अवॉर्ड्स के अलावा कई फ़िल्मफ़ेयर और राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिल चुके हैं.

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