अयोध्या: राम मंदिर की मांग से भूमि पूजन तक, जानिए पूरी यात्रा
MK Digital Line
अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए (5 अगस्त) भूमि पूजन किया गया है। आइए जानते हैं मंदिर की मांग से भूमि पूजन तक की पूरी कहानी.
विवाद 1528 से शुरू हुआ था। मुगल बादशाह बाबर ने विवादित जगह पर मस्जिद का निर्माण कार्य कराया। हालांकि, हिंदुओं का दावा था कि यहां पर भगवान राम का जन्म हुआ था।
बढ़ते विवाद के साथ यहां पर 1949 में भगवान राम की मूर्तियां पाई गईं। इसके बाद विवाद और बढ़ा।
मंदिर निर्माण आंदोलन के लिए बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए रथ यात्रा शुरू की थी।
आडवाणी को बिहार के तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर जिले में गिरफ्तार करवा लिया।
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत तमाम बीजेपी नेता उस वक्त राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
वर्ष 2010, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया।
बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए। यही नहीं, 8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया।
पैनल को 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही खत्म करने को कहा। 1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट पेश। इस पर 2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान करने में विफल रहा।
70 साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई, 40 दिन तक लगातार मैराथन सुनवाई के बाद 9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया।
संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। टॉप कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित जमीन को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक करार दिया। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।
● ट्रस्ट का हुआ गठन
फैसले के साथ ही कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर स्कीम बताए। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी 2020, बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर का पूरा प्लान बताया।
● ... और अब भूमि पूजन
रामलला के लिए अस्थायी मंदिर तैयार किया गया। विशेष पूजा के बीच रामलला को 25 मार्च 2020 को यहां शिफ्ट किया गया। और (5 अगस्त) को PM नरेंद्र मोदी भूमि पूजन किया।
Post a Comment