यारा : एक्शन तो है, पर कनेक्शन नहीं?
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विद्युत जामवाल, श्रुति हसन, अमित साध की 'यारा' में दोस्ती तो नहीं दिखी लेकिन हाँ एक्शन जरूर है। यह कमर्शियल फेल फ्रेंच फिल्म 'ए गैंग स्टोरी' की रीमेक है।
विद्युत जामवाल की यारा वैसे तो थिएटर में रिलीज होने वाली थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे ज़ी5 पर रिलीज किया गया। अच्छा हुआ कि यह डिजिटली रिलीज़ की गई, टिकट के पैसे तो बच गए।
यारा में सबसे बड़ी ख़ामी यह है कि यह सारे किरदारों को ठीक से कनेक्ट नहीं करती। फिल्म सिर्फ विद्युत को दिखाती है, जिसमें दोस्ती तो दिखती नहीं।
तिग्मांशु धुलिया अच्छे डायरेक्टर है, लेकिन 'यारा' में वह दर्शकों को प्रभावित करने में नाकाम दिखाई देते हैं।
कहानी को ठीक से दिखाया भी नहीं गया है।
कहानी में कोई मक़सद नज़र नहीं आता और क्लाइमेक्स भी अजीब सा है। स्क्रीनप्ले भी काफी कमजोर है।
लगता है जैसे अमित साध, श्रुति हसन, संजय मिश्रा, विजय वर्मा को फिल्म में नाममात्र के लिए लिया गया है।
संगीत, सिनेमेटोग्राफी कुछ खास नहीं है।
विद्युत ने औसत दर्जे़ की एक्टिंग की है, लेकिन उनकी अट्रैक्टिव पर्सनालिटी और एक्शन से आपकी नजरें उनपर टिक जाती हैं।
फिल्म तभी देखें जब विद्युत आपको बहुत पसंद हो।
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